एक लड़का

एक नटखट लड़का है कहीं पर
जो गीत चुनता है
अपने लफ्जों में ना जाने
कितने ख्वाब बुनता है

उसकी कलम में एक जादू है
और हाथों में एक तिशनगी
जाने क्या कुछ कह जाता है
जाने क्या कुछ सुनता है

कभी कभी एक खामोश आवाज़ देता है
कभी कभी जोर से फिर चुप हो जाता है
उस शख्स का क्या कहना जो
खारों से गुलाब चुनता है

निगाहें भी बयानी से कभी
बाज़ नही आती उसकी
तस्वीरों में से भी यू लगे
मेरे दिल की सब बातें सुनता है

मुझ पे अपने शब्दों की
एक खूबसूरत से ओदनी डालता है
न जाने कहाँ से वो इतनी
रेशमी गज़लें बुनता है

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