Global Warming
इस बरस भी बारीश होगी इस साल भी बादल छायेंगे बूंदे तो उनके साथ होंगी लेकिन धरती के मौसम बदल जायेंगे ये कुदरत भी रो पड़ेगी और सारी इंसानियत आंसू बहायेगी जब सहरा तो सहरा रहेगा मगर जंगल भी सहरा बन जायेंगे इस हयात की ना पूछ ए दोस्त मेरे यहाँ ऑर हर कोहराम होगा जब दरख्तों पे परिंदे न होंगे और सारे पहाड़ पिघल जायेंगे हर तरफ दिन रात सिर्फ एक आग होगी, ओर होगी तिशनगी की एक इन्तहा हर रोज़ जब के काफिले निकलेगा ओर पानी को ढूँढने जायेंगे न दरिया कोई रहेगा बाकी न सबको रोटी मिलेगी खारे पानी के सैलाब में से एक चुल्लू भर पानी भी न पी पायेंगे बस, रोक लो बर्बादी के कारवां को कुछ तो रहम मांगती है ज़मीन भी उस वक़्त की सोचो जब हमारे बच्चे इस ज़मीन पर रह भी ना पायेंगे