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Showing posts from 2009

Global Warming

इस बरस भी बारीश होगी इस साल भी बादल छायेंगे बूंदे तो उनके साथ होंगी लेकिन धरती के मौसम बदल जायेंगे ये कुदरत भी रो पड़ेगी और सारी इंसानियत आंसू बहायेगी जब सहरा तो सहरा रहेगा मगर जंगल भी सहरा बन जायेंगे इस हयात की ना पूछ ए दोस्त मेरे यहाँ ऑर हर कोहराम होगा जब दरख्तों पे परिंदे न होंगे और सारे पहाड़ पिघल जायेंगे हर तरफ दिन रात सिर्फ एक आग होगी, ओर होगी तिशनगी की एक इन्तहा हर रोज़ जब के काफिले निकलेगा ओर पानी को ढूँढने जायेंगे न दरिया कोई रहेगा बाकी न सबको रोटी मिलेगी खारे पानी के सैलाब में से एक चुल्लू भर पानी भी न पी पायेंगे बस, रोक लो बर्बादी के कारवां को कुछ तो रहम मांगती है ज़मीन भी उस वक़्त की सोचो जब हमारे बच्चे इस ज़मीन पर रह भी ना पायेंगे

कौल

ये नज़रें उस दुनिया का नज़ारा देखती हैं जिसमें अब देखने लायक नजारे ही नहीं... उनकी पहचान क्या होगी क्यूँ होगी भला जो कब से हमारे होकर भी हमारे ही नहीं **** तेरे कौल तेरे करार काफी हैं भरम पैदा करने को अब कसम देकर अपनी, फिर ईमान न बेईमान कर... मेरा नाम ले लेकर यूँ जो पुकारा करे हर दम ए हबीब मेरे आ सामने आ, यूँ दूर से परेशान न कर.. *** मेरे हबीब मेरी हस्ती क्या, कुछ नहीं ये नज़रे करम आपकी निगाहों का है ...

दोस्त

मेरी शाम की उदासी तेरी सुबह मिटाती है जब हर शब् मेरी याद तुझे याद कर सो जाती है ***** मौज हूँ, लेकिन मौज नहीं करती साहिल से के वो मेरा रहनुमा बनकर मुझे रोज़ ठुकराता है हर लहर को बुला कर वो बेदर्द सागर करीं बड़ी बेशर्मी से सभी की सीपियाँ चुराता है ***** इतनी उम्मीद रखी उस नामुराद ने मुझ बेगानी से खुद पे शरमनिसार हुई जब नाउम्मीद, मेरे दर से वो गया ****** उसका रकीब बनने से पहले खुदाया समझ लेना वो एक चारागर है, और तुम हो एक बीमार दोस्ती रखोगे तो मिजाज़ पुरसी को आयेंगे वरना कौन यहाँ किसका होता है तीमारदार ???

महफिल

आपकी दुआओं की नवाजिश यूँ ही चलती रहे ये आँखें क्या सारी कायनात दुरुस्त हो जायेगी जब जब इस नाचीज़ से दर्द मुकाबिल होगा कभी सिर्फ आपकी ही दुआ तब मेरे काम आएगी ************* तेरे नशे में चूर चूर हुए बैठे हैं महफिल में तेरी खुद को क्या, यहाँ खुदा तक को होश नहीं इतना सुरूर है तेरी बातों मे ए जान नशीं के पैमाने भरे रखे हैं उठाने का जोश नहीं ************** ये हसरत ही रह गयी के उनकी महफिल मे एक जाम उठाते मुझ तक आते आते मय बची नहीं और साकी रुक्सत हो गया...

मुजस्मा

उनका मुजस्मा मेरे ज़हन में इस कदर छाया हुआ है के हर रंग मोहब्बत के बेहतरीन रंगों से नहाया हुआ है वो कहते हैं के दूर हो जाएँ हम उनसे, बहुत दूर मगर यहाँ एक चेहरा मासूम सा इन नज़रों में समाया हुआ है **** आपकी खामोशी की आवाज़ तहेदिल तक पहुँच गयी अब तक एक गूँज अरमान जगह रही है बेलौस.... *** ये हारने ये जीतने की बातें नागवार हैं मुझे जिंदगी की जंग में किसको क्या हासिल हुआ जो जीत गया दिलों को खुद का दिल हार कर तुम्हीं बताओ वो किस ईनाम के काबिल हुआ हर रहगुज़र पे बिछे हैं बेशुमार खार यहाँ, और हर शख्स खुद के अरमानो का कातिल हुआ मुझको आइना दिखाकर अपनी सुरत छुपा ली मेरे लिए अब तू गुनाहगारों की कतार में शामिल हुआ

उनका गिला

कुछ बूँदें बारिश की उधार मांग लो आज ही मेरे छज्जे पे इबके बहुत सावन बरसा है कई मोर ढूंढते हैं नाचने को घटा काली और लैला का दिल बारिश में मजनू को तरसा है ************* उनका गिला के हम दूरियां बढाने लगे हैं उनको शिकवा के हम मुहं छुपाने लगे हैं हम पर्दानशीं हैं शरमसार नहीं, क्या हक उन्हें, जो हम पर यूँ इल्जाम लगाने लगे हैं ***** आपकी हर बात पे मर जाने को जी करता है आपकी हर बात जीने का सबब भी है लेकिन ... ****** कई रास्तों से गुज़र कर तेरी अंजुमन में तशरीफ़ लाये हैं एक जाम मेरे महबूब के नाम साकी महफ़िल को पिला देख किस कदर खामोश बैठे हैं सब बादाकशीं सर झुकाए उठाकर अपना पैमाना भी उसके नाम से आ ज़रा नजदीक आ ********** तुझको मेरी रुसवाई का वास्ता है, आ एक बार फिर मुझे बदनाम कर आ एक बार फिर मेरे करीब आ आ एक बार फिर मेरे कत्लेआम कर ... ******** खुदी को कर बुलंद इतना के हर नज़र तेरी जानिब उठे बा-हौसला और झुका कर सर अपना कबूल तू हर ख़ास-ओ-आम का सजदा

Best wishes to u

हर ज़र्रा रौशनी का आपको दिया हर लम्हा ख़ुशी का आपके नाम किया दुआओं का सिलसिला यूं ही चलता रहे तहे दिल से ये आपके दिल को पैगाम दिया हाँ, मिल नहीं सकते इसका रंज है इसलिए फासलों से सलाम आपको किया गर जिंदगी रहे तो इंशाल्लाह एक दिन आपसे मिलने का वादा सरे-आम किया

करार न था

बाट देखें भी तो कब तक कोई आने का करार न था बैठें हैं राह में के कहीं वो ये न कहे आज मेरा इंतज़ार न था सुबह से शाम हो गयी और शाम अब रात में तब्दील हुई जाती है सोये जब आँखों में नींद तो थी गरचे नींद का खुमार न था उफक के सभी अख्तर बेसब्र हुए जाते हैं बेचारे तुम्हारी चाहतों में क्यूँकर उनका शुमार न था

बस यूँ ही

क्यूँ वक़्त के मोहताज हैं, क्यूँ किस्मत पे तुम्हें नाज़ है क्या नहीं किया तुम न सोचो, क्या किया जिसपे ज़माने को ऐतराज़ है **** लफ्ज़ नहीं मिलते जज़्बात नहीं मिलते दिल नहीं मिलते खयालात नहीं मिलते नफरत करना आसान है इस जहां में मुहब्बत करने के आजकल हालात् नहीं मिलते ***** एक दाद सुनने को हमने दीवान लिख डाले अब ये बेनूर आँखें चिरागां हुई जाती हैं ***** सिर्फ एक चेहरा होता तो सिमट सकता था ख़्वाबों में यहाँ हर किसी के चेहरे पे कई मुखौटे लगे रहते हैं परत दर परत खुरच के देखा भी यारों हमने हर सुहानी सूरत के पीछे डरावने जज़्बात पड़े रहते हैं

एक आम आदमी

हर कमान आज खाली है तेरे तीर से खामोशी बंध नहीं सकती ज़ंजीर से रोक नहीं सकते वक़्त-ए-गर्दिशी को क्या लडेगा कोई भला तकदीर से जंग जारी है ज़माने भर में आज हर तरफ इल्जाम हैं संगीन से मौत की ख्वाइश न कर बाशिंदे तू मौत भी यहाँ मिलती है तकदीर से ...

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी एक किताब नही जिसे पड़ लिया और ख़तम हो गई... ज़िन्दगी एक पुलिंदा है कोरे कागजों का, जिसका हर पन्ना एक हिकायत का हक़दार है.... इसे जी भर के जियो और अपने तजुर्बे इस पर लिखो.... फिर वोह चाहे अच्छे हो या बुरे.... keep smiling... smiling thru tears make ur eyes glisten like diamonds.... आपकी बातों को फासलों से गुज़र जाने की आदत है कोई इंतज़ार करे तो किया करे, खैर आपकी बला से

मेरी हिना

मेरी नादानियों को मेहरबानी समझी या खुदा कितना नासमझ वो शक्स था बहुत देर तकता रहा जिस पर्दानशीं को उस नकाब के पीछे मेरा ही अक्स था रिन्दों की बज्म में बैठा बिन पीये क्यों क्या कशिश रक्कासा का रक्स था ? मेरी हिना को अपनी हथेली पे सजाता बड़ा ही अजीब आशिक वो शक्स था ....