एक आम आदमी

हर कमान आज खाली है तेरे तीर से
खामोशी बंध नहीं सकती ज़ंजीर से
रोक नहीं सकते वक़्त-ए-गर्दिशी को
क्या लडेगा कोई भला तकदीर से
जंग जारी है ज़माने भर में आज
हर तरफ इल्जाम हैं संगीन से
मौत की ख्वाइश न कर बाशिंदे तू
मौत भी यहाँ मिलती है तकदीर से ...

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