nazdeek hi hai bus kuch kadam ki doori par aa jao, ke dil udaas hai aaj bin tumhare...
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Showing posts from March, 2012
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किस्मत ने कितनी बार तोडा मुझे एक खिलौना बना कर छोड़ा मुझे जिंदगी के दर पर जिंदगी मांगने गए थे उसने भी खाली हाथ मोड़ा मुझे कुछ तो रंजिश थी जो खिलाफत करने लगी जिंदगी मेरी मुझसे ही बगावत करने लगी मेरी जिद थी जो मुस्कुराते रहे फिर भी चाहे सिर्फ मायूसी ने अक्सर ओडा मुझे सब्र किया है हमेशा, सब्र करते रहेंगे' वक़्त के साथ यूँ ही हिम्मत से लड़ते रहेंगे जब भी थक कर बिखरने को मन किया एक एक पल ने खुद आकर जोड़ा मुझे ...