For the soilders/policemen who lost their lives fighting terrorism in mumbai...26/11/2008
समेट कर आग सीने में जब वो घर से निकला होगा आग बुझाने को
कितने आईने देखें होंगे अपनों के अक्सों को आँखों में छुपाने को
रात में नीदों का साया फिर नहीं आएगा उसके मकां पे
वो अपना आशियाना छोड़ कर गया था औरों के घर बचाने को
तान के बन्दूक जा खड़ा हुआ बन्दूक के आगे शेर दिल
लौटा नहीं जिंदा, तो क्या फौजी बना ही था मुल्क पे मर जाने को
कुछ सरकारी तमगे मिलें और मिला कुछ लाख का मुआवज़ा
अब सलाम करें या शहादत का नाम दें के वो मरा देश बचाने को
किसके साथ क्या हुआ कौन मरा कौन बचा और फिर वो ही मुक्कदमा
इन्साफ की मत पूछो, के इन्साफ यहाँ का है सिर्फ खिल्ली उडाने को
उस मुल्क पे ओड़ के गुनाहों का सारा इल्जाम अपना गिरेबां झाड़ लिया
इस मुल्क का नेता जीता है मासूमों के लहू से अपनी प्यास बुझाने को
कितने आईने देखें होंगे अपनों के अक्सों को आँखों में छुपाने को
रात में नीदों का साया फिर नहीं आएगा उसके मकां पे
वो अपना आशियाना छोड़ कर गया था औरों के घर बचाने को
तान के बन्दूक जा खड़ा हुआ बन्दूक के आगे शेर दिल
लौटा नहीं जिंदा, तो क्या फौजी बना ही था मुल्क पे मर जाने को
कुछ सरकारी तमगे मिलें और मिला कुछ लाख का मुआवज़ा
अब सलाम करें या शहादत का नाम दें के वो मरा देश बचाने को
किसके साथ क्या हुआ कौन मरा कौन बचा और फिर वो ही मुक्कदमा
इन्साफ की मत पूछो, के इन्साफ यहाँ का है सिर्फ खिल्ली उडाने को
उस मुल्क पे ओड़ के गुनाहों का सारा इल्जाम अपना गिरेबां झाड़ लिया
इस मुल्क का नेता जीता है मासूमों के लहू से अपनी प्यास बुझाने को