हाथ बिलकुल खाली हैं मगर दिल भरा है
किसी का ख्याल अब तक मेरे ज़हन में खड़ा है
देख कर खुदा की मेहरबानी उसका करम भूल गए
के सर उसके सजदे में झुकने को अड़ा है
क्या कोई इंसान बुतपरस्ती के काबिल है
क्या कोई इंसान सचमुच इतना बड़ा है
हर तरफ से मायूसी झांकती थी हर सुबह
उसकी नवाजिश हुई तो ख़ुशी से दिल रो पड़ा है
बुझा देता था चिरागों को रात रात भर जलाकर
बहुत देर तक ये दिल अकेला अंधेरों से लड़ा है
किसी का ख्याल अब तक मेरे ज़हन में खड़ा है
देख कर खुदा की मेहरबानी उसका करम भूल गए
के सर उसके सजदे में झुकने को अड़ा है
क्या कोई इंसान बुतपरस्ती के काबिल है
क्या कोई इंसान सचमुच इतना बड़ा है
हर तरफ से मायूसी झांकती थी हर सुबह
उसकी नवाजिश हुई तो ख़ुशी से दिल रो पड़ा है
बुझा देता था चिरागों को रात रात भर जलाकर
बहुत देर तक ये दिल अकेला अंधेरों से लड़ा है