बहुत ढूंढते हैं लेकिन ये भी सच है के
इस दिल् को सुकून कभी मिलता ही नहीं,
हाथों की लकीरों से नाम मिट भी जाए,
लेकिन दिल से कभी निकलता ही नहीं
चलते चलते अगर पाँव थक भी जाएँ
लम्बे रास्तों का सफ़र बदलता ही नहीं
कई दिनों से तन्हाई नहीं मिली के अब
अपने घर में भी अपना हक चलता ही नहीं ..

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