एक तोहफा देने का वादा किया था तुमने कभी अब कहते हो रिश्तों के साथ दस्तूर बदल गया
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फरिश्तों के साथ वक़्त क्या गुज़ारा दुरुस्त सारा बदरंग नज़ारा हो गया दिल ज़ाकिर जो हुआ, सो हुआ खैर वो मोहसिन खुदा का हमारा हो गया ... farishta - angel durust - positive badrang - negative zaakir - grateful khair - but mohsin - angel i spent some time with an angel and my negativity turned into positive energy. my heart is grateful to god for sending that angel to me...
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क्या मेरी तरह सब थक जाते हैं? जब जीवन में एक अर्ध विराम आता है जब ऐसा लगता है सब कुछ कर लिया और अब कुछ और नहीं है करने को ... जब बच्चे बड़े हो कर अपनी मंज़िल को पाने के लिए दूर देश निकल जाते हैं जब रिश्तों में एक ठहराव सा आ जाता है जब पुराने दोस्त बिछड़ने लगते हैं और नए दोस्तों कि ज़रुरत महसूस नहीं होती ... सुबह उठकर ये सोचते हैं आज क्या करें शाम तक दिन बिताना है मगर कैसे और रात को सोते वक़्त सोचा जाता है सुबह उठकर क्या बनाना है और क्यूँ ? उम्र ज़यादा नहीं है मगर कम भी नहीं है वक़्त गुज़र भी गया और बचा भी है जो वक़्त बीत गया वो शायद ठीक ही था मगर तब यूँ लगता था ये वक़्त बुरा है ... तब भी उससे शिकायतें थीं अब भी हैं शायद शिकायत करना आदत बन गयी है सबसे ही शिकायत करते हैं आदतन वक़्त से, दोस्तों से, दुश्मनों से, अपनों से और खुद से भी ... अभी जीना है क्यूंकि अभी उम्र बाकी है शायद इसलिए थक गयी हूँ शायद इसलिए थक गयी हूँ ....