तोड़ कर फूल जब बुत पर चदाये जाते हैं
ओस की बूंदों में हमे आंसू नज़र आते हैं
क्या बुतपरस्ती के वास्ते जान लेना ठीक है
क्या खुदा ऐसे ही मनाये जाते हैं

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