हमारे हिस्से का आसमान एक दिन कदमों के नीचे होगा ,
हमारे हिस्से की ज़मीं पर बादल बिछ जायेंगे ,
तकदीर को लकीरों में सब ढूंढते हैं सभी, मगर ,
अपनी तकदीर की लकीरें भी हम खुद बनायेंगे ...

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