सफ़र सख्त है, तनहा है मगर बे-मज़ा और बे-मंज़र नहीं
कुछ कट गया, कुछ कट रहा है, कुछ कट ही जाएगा
साथी सबको मिल जाता है अपने नसीब से इस जहां में
ख़ुशी हो या गम, गर बांटने वाला हो सब बँट ही जाएगा

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