याद बे पैर हर उस जगह आती है जहाँ उसका ख्याल आता है
महफ़िल हो या तन्हाई, याद का एक लम्हा सौ दर्द जगाता है

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अहसास-ए-गम

ख़ुशी भी उदास रहती है