वो साथ कुछ पल का और शर्मिंदगी उम्र भर की
अब यारों से नज़र मिलाएं कैसे
तेरा दर्द हिज्र का, मेरा तिशनगी का
दोनों का दर्द मिटाए कैसे ?
अब यारों से नज़र मिलाएं कैसे
तेरा दर्द हिज्र का, मेरा तिशनगी का
दोनों का दर्द मिटाए कैसे ?
रिम झिम... ये वृष्टि की टिपटिपाहट है .... या दिल में मचलते अरमानों की...???? ये मेरे आँखों में बरसते ख़्वाबों की आवाज़ गूंजती है.. या मेरे ख्यालों में उतारते तेरे जज़्बात की... पता नहीं... बस... एक अहसास है.. जो जब जब लहू के साथ नसों में दौड़ता है, कुछ लफ्ज़ खुद-ब-खुद पन्नो पे बिखर जाते हैं... और रिमझिम पर बरसने लगते हैं बस... ये ही है मेरी रिमझिम की शुरुआत की कहानी.... उम्मीद है आपको पसंद आएगी...