मेरे नज्में और शेर लावारिस नहीं
तुम्हारे हैं और तुम्हें इसको ठुकराना आसान नहीं
कुछ तो बात है हम में, हमे वो भूल नहीं पाते
के हमसे रिश्ते यूँ तोड़ पाना आसान नहीं
बहुत गहरी है जो मेरे दिल पे लगी है वरना
तेरे बहानों को समझ पाना आसान नहीं
हद-ए-निगाह तक सदा एक ही चेहरा था
और उस हद से परे मेरा देख पाना आसान नहीं
तुमने मुहँ मोड़ लिया, तो खैर तुम जानो
मेरा अपने अहसासों को झुठलाना आसान नहीं
बरस दर बरस बिता कर भी महसूस किया
बचपन की दोस्ती को भुलाना यूँ आसान नहीं
मेरा कोई हक नहीं तेरी जीस्त पर वाकिफ हूँ मैं
मगर मेरी जिंदगी से तेरा लौट पाना आसान नहीं
प्यार और जंग में सब जायज़ है लेकिन
हक की चीज़ गंवाना मेरे लिए आसान नहीं
बहुत बड़ा जिगर चाहिए सरे-आम कबूलना
सच अपने अहसासों को लफ़्ज़ों में बताना आसान नहीं