मेरे खुदा के सामने
मेरा दामन साफ़ है
इसलिए उस की नज़र में
मेरा हर गुनाह माफ़ है
हमने रख दी है अर्जी
लिख कर उसके दर पे
देखें क्या उसकी मर्ज़ी है
क्या उसका इन्साफ है
लकीरों में छुपा है दर्द
तो बिला शर्त मजूर है
गर सज़ा दी है किसी गुनाह की
तो भी मुझे ऐतराफ है ...

ऐतराफ - agree, acknowledge

Popular posts from this blog

अहसास-ए-गम

तमन्ना-ऐ-वस्ल-ऐ-यार