pain of an unborn girl


this poem is dedicated to the TV program anchored by Aamir khan today.... it covered female foeticide ...Hats off to the producers of Satyamev Jayate...

छोटी छोटी सी उँगलियाँ, छोटे छोटे से हाथ
और उन हाथों में क्या किस्मत की लकीरें हैं
क्या उम्र दराज़ होने की कोई गुंजाइश है
या बाप को सिर्फ बेटे की फरमाइश है?

एक सुई चुभती है तो दर्द होता है ना
तो क्या वो मासूम चिल्लाई नहीं होगी
बेचारी बेजुबान थी तो भी
एक गूंगी गुहार नहीं लगाईं होगी??
लहू तो उसकी रगों में माँ का ही होगा
और बाप से भी शक्ल मिलती होगी
फिर जब जांच करवाने गए थे
छोटी सी बच्ची की तकलीफ नज़र आई नहीं होगी?
पेट में ही घर बनाया था और पेट ने बेघर कर दिया
उस घर में क्यूँ सिर्फ बेटे की ख्वाइश है???

हर साल दस लाख बेटियों को मारा जाता है
क्या ये क़त्ल नहीं गर है तो गुनाहगार कौन है
किसको सज़ा मिले और कौन सज़ा दे
इंसानियत पर इस जुर्म का ज़िम्मेदार कौन है
क्या कसूर है उसका जिसने अभी दुनिया नहीं देखी
उस मजलूम की हाय का हक़दार कौन है
किसको इलज़ाम दे किसका गिरबान पकड़ें
सभी सफेदपोश बनते हैं, बेदाग़ कौन है ??
कन्या पूजन करते हैं साल में दो बार
बाकी पूरे साल बेटे की ही गुंजाइश है....

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