अगर ये जानती के वो मुलाक़ात आखरी होगी
तो तुम्हें उस दिन अपनी साँसों में ही बसा लेती
और जिंदगी उन्ही साँसों को लेकर बिता देती....
अगर ये जानती के वो मुलाक़ात आखरी होगी
तो लहू के कतरे बना तुम्हें रगों में समा लेती
और जिंदगी की रंगीनियाँ उन्ही से सजा लेती....
अगर ये जानती के वो मुलाक़ात आखरी होगी
तो तुम्हें आँखों में काजल की तरह छुपा लेती
और जिंदगी भर बादलों को कालिख उधार देती ...
अगर ये जानती के वो मुलाक़ात आखरी होगी
तो तुम्हें भींच कर इस तरह गले से लगा लेती
और जिंदगी तेरे आगोश है खुद को समझा देती ...