ऐसा भी हुआ कुछ....
ये आपकी नज़रे इनायत है जनाब हमारा जलवा नही जो जादू सर चढ़ के बोले उसका खाना खराब है *** इतनी तारीफ़ न कर के में इतरा का आइना तोड़ दूं कुछ झूठ बोला है , तो कुछ सच भी फरमाइये ये मेरा जमाल नही आपकी आँखों का धोका है हुजुर अब इस तरह मेरा गुरुर न बदाइए *** आपको आपकी खासियत का पता नही इस नियामत को हमने महसूस किया है जब कभी अपनों ने हाथ छोडा है मेरा आपने झुक कर मेरा हाथ थाम लिया है *** हिज्र का आलम कुछ ऐसे बिताया गया के तुझको ही सोचा किये तुझको ही ज़हन में बिठाया गया..... *** मेरे मौला मेरे अजीज़, मेरी दीवानगी का कोई हासिल नही जब जब जोगन बनी, तब तब उसका पता बिसर गया *** मेरी बातों पे यकीन हैं उन्हें इस बात का यकीन मुझे नहीं कई बार मुझसे वादा खिलाफी हुई, कई बार वादा तोड़ा गया..... *** जिसके दर से दामन भरने की तमन्ना थी मेरी उसका हाथ खैरात देने को उठा ही नही....