इतने करीब हों के धड़कन एक हो जाये
सांस लें तो साँसे तेरी साँसों से टकराए
आगोश में कसमसा जाएँ शाम होते ही
बिखर जाएँ टूट के तो सहारा दे तेरी बाहें

दूर जाना मुमकिन नहीं तुम जानते हो
पास आना ही अब वक़्त की ज़रुरत है
छुपा कर रख सको तो अहसान होगा
बड़ी ज़ालिम हैं ज़माने की काली निगाहें

हसरतों की बारात है चलो कुछ सवंर लें
थोडा सा सज लें थोडा सा इत्र छिड़क लें
उसके पहलु में आज की रात बितानी है
यही सोच कर खुद पर ही हम इतराएँ

Popular posts from this blog

अहसास-ए-गम

तमन्ना-ऐ-वस्ल-ऐ-यार