रूठा उनसे जाता है जो मना ले,
कभी प्यार से कभी डांट कर वापस बुला ले
जिस से रिश्ता निभाना इक बोझ लगे,
अच्छा है वक़्त रहते उससे पीछा छुड़ा ले
मेरी जिंदगी कोई रुका हुआ तालाब नहीं
मेरी जिंदगी एक उफनती नदी है
जिसको समंदर भी खोजेगा एक दिन
ताकि मेरी हस्ती में खुद को समा ले
रास्तों में मिल ही जाते हैं मुसाफिर अजनबी
कोई आशना बन जाता है कोई अघ्यार
मुझे उस रहबर की तलाश है आज तक
जो मेरी मंजिल को अपना समझ अपना ले....