कभी कभी मेरे लफ्ज़ लोगों को चुभ जाते हैं
किसी को अपने दिए दर्द का अहसास कराते हैं
बोलते नहीं सिर्फ सफ़ेद कागज़ पर बिछ कर
स्याही की कालिख में मेरी रातों का रंग छुपाते हैं.

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