जब धूप तेज़ होती है तो अपनी परछाई ही पाँव बचाती है
रात के स्याह अंधेरों में अपनी नींद ही आगोश में बुलाती है
दिल की धड़कने जब बढती हैं दर्द में, परेशानियों में
अपनी ही हथेली, मासूम दिल को प्यार से सहलाती है

अपनी जिंदगी की लड़ाई इंसान अक्सर खुद लड़ता है
बेवजह वक़्त ए गर्दिश में गैरों का दामन पकड़ता है
ये तो तकदीर की कहानियाँ हैं जो लकीरों में छुपी हैं
और खुद तकदीर ही वक़्त बे वक़्त ये हिकायतें सुनाती है

हार मानोगे तो सिर्फ हार का ही सामना होगा
जीत क्यूंकि सिर्फ इरादों में बसा करती है
खुद को तूफ़ान समझो और जिंदगी को एक चट्टान
के तूफानी हवा अक्सर अपना रास्ता खुदा बनाती है....

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