दूरी
बस, अब ओर सहा नहीं जाता
तेरे बिन तनहा रहा नहीं जाता
तुझ तक पहुँचना मुमकिन नहीं
मगर तुझे लौटने को कहा नहीं जाता
वो चाँद तुझसे ज्यादा करीब है
तेरी दूरियों का उसको भी अहसास है
उसकी चांदनी मेरा दर्द समझती है
वरना उसका डोला हर रात नहीं आता
तेरे बिन तनहा रहा नहीं जाता
तुझ तक पहुँचना मुमकिन नहीं
मगर तुझे लौटने को कहा नहीं जाता
वो चाँद तुझसे ज्यादा करीब है
तेरी दूरियों का उसको भी अहसास है
उसकी चांदनी मेरा दर्द समझती है
वरना उसका डोला हर रात नहीं आता