पर्दा नशीं...
पर्दा नशीं को बे-पर्दा देखने की तमन्ना न कर
के हिजाब में ही शबाब भाता है
मान ले, के हुस्न को देखने का मज़ा
शर्म के इस लिबास में ही आता है....
वैसे भी कुछ रखा नहीं इस रुख में
के इस चहरे को अब उम्र का खौफ सताता है
रहने दे राज़ को राज़ ही ए दोस्त मेरे
के राज़ में ही जीना अब मुझे आता है....
के हिजाब में ही शबाब भाता है
मान ले, के हुस्न को देखने का मज़ा
शर्म के इस लिबास में ही आता है....
वैसे भी कुछ रखा नहीं इस रुख में
के इस चहरे को अब उम्र का खौफ सताता है
रहने दे राज़ को राज़ ही ए दोस्त मेरे
के राज़ में ही जीना अब मुझे आता है....