अब भी....

क्या अब भी उसको मेरी याद आती होगी?
क्या अब भी मुझसे वस्ल की प्यास उसको सताती होगी?
जो मेरी चाहतों के दायरे से परे है,
क्या अब भी उसपे इश्क की दीवानगी छाती होगी?

एक दूरी सी दरम्यान आ गयी है कई दिनों से
क्या उसकी उंगलियाँ भी उसे दूरी नपाती होंगी?
नए मुल्क की नयी खुशनुमा सूरतें
क्या ख्वैशों में एक नयी आग लगाती होंगी?

जिसमे मेरी साँसे बस्ती हैं आज भी
क्या उसकी धड़कन भी मेरा नाम बुलाती होगी?
ये दिल जिसके लिए तड़पता है दिन रात यहाँ
क्या उसको भी मेरी तड़प सताती होगी?

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