दोस्ती इल्जाम नहीं दुआ है
बदनामी में भी एक नशा है
इश्क में नाकाम होने से दर क्यों
पहली नाकामी ही इश्क की इब्तदा है...
जज्बात तो बहुत हैं सीने में
लेकिन हर जज्बात का अपना एक मज़ा है
इश्क हुआ तो ज़िन्दगी खुशगवार है
न हुआ तो जीना ही सज़ा है ....
इश्क में नाकाम होने से दर क्यों
पहली नाकामी ही इश्क की इब्तदा है...
जज्बात तो बहुत हैं सीने में
लेकिन हर जज्बात का अपना एक मज़ा है
इश्क हुआ तो ज़िन्दगी खुशगवार है
न हुआ तो जीना ही सज़ा है ....