तारीफ आपकी

तारीफ करके दिल लुभाना कोई आपसे सीखे
किसी को आसमा पे चडाना कोई आपसे सीखे
हम तों बस अपने दिल की आवाज़ सुनते हैं
ज़र्रे को आफताब से मिलाना कोई आपसे सीखे

न कर मेरी तारीफ ए दोस्त मेरे
न काबिल हूँ में, न कुछ हासिल किया,
वो लफ्ज़ जो आपको पसंद आये
बस एक जज्बा है जिन्हें शब्दों में बोल दिया,
हम तों बस नज्में बुनते हैं
मीठी मीठी बाते बनाना कोई आपसे सीखे

चुन के कुछ तजुर्बे अपनी ज़िन्दगी से
कुछ दूसरों की जीस्त में झाँककर उठाये
सबको फिर तराश के अपनी कलम से
इन बिखरे पन्नों में बिछाए
हम तों टूटे दिल के टुकड़े चुनते हैं
इनमे टुकडों में से मोती उठाना कोई आपसे सीखे

Popular posts from this blog

अहसास-ए-गम

तमन्ना-ऐ-वस्ल-ऐ-यार