सब्र कर ....
सब्र कर ए दिल के बस अब दीदार होगा
वस्ल का सपना अपना तभी साकार होगा
उनके आगोश में समाने की तमन्ना है हमारी
उनको भी ज़रूर हमारा इंतज़ार होगा ........
दिल की खलिश ...
दिल से उदासी नहीं जाती ,
उसकी याद जाकर भी नहीं जाती ,
रोक रखे हैं उसने अपने सपने भी ,
ये खलिश दिल से नहीं जाती ….
वस्ल का सपना अपना तभी साकार होगा
उनके आगोश में समाने की तमन्ना है हमारी
उनको भी ज़रूर हमारा इंतज़ार होगा ........
दिल की खलिश ...
दिल से उदासी नहीं जाती ,
उसकी याद जाकर भी नहीं जाती ,
रोक रखे हैं उसने अपने सपने भी ,
ये खलिश दिल से नहीं जाती ….