आपकी शिकायतें
गिला करने की आदत उनकी जाती नहीं
खता करने से हम बाज़ आते नहीं
वो बारहा शिकायत करते हैं हमसे
हम हैं जो दर्द-ए-दिल कभी बताते नहीं
जिन वादों का वास्ता देते हैं वो आज भी
उन वादों को खुद कभी निभाते नहीं
अपने इंतज़ार का उलाहना देते हैं हर रोज़ मगर
हमारे इन्तेखाब के बारे वो सोच पाते नहीं....
खता करने से हम बाज़ आते नहीं
वो बारहा शिकायत करते हैं हमसे
हम हैं जो दर्द-ए-दिल कभी बताते नहीं
जिन वादों का वास्ता देते हैं वो आज भी
उन वादों को खुद कभी निभाते नहीं
अपने इंतज़ार का उलाहना देते हैं हर रोज़ मगर
हमारे इन्तेखाब के बारे वो सोच पाते नहीं....