तुम ही तुम
क्या इंतिहा है मेरे प्यार की,
ये मुझको खबर नहीं,
इस ज़मीं से उस फलक तक,
बस तुम ही तुम हो,
झील में खिलते हैं कमल,
गुलज़ार में महके कलियाँ,
मेरी ज़िन्दगी के गुल का शबाब
बस तुम ही तुम हो,
ख़ुशी और रंज सबके नसीब में,
खुदा के फज़ल से हैं,
मेरी तकदीर के सबसे रुख रंगीन
बस तुम ही तुम हो.
ये मुझको खबर नहीं,
इस ज़मीं से उस फलक तक,
बस तुम ही तुम हो,
झील में खिलते हैं कमल,
गुलज़ार में महके कलियाँ,
मेरी ज़िन्दगी के गुल का शबाब
बस तुम ही तुम हो,
ख़ुशी और रंज सबके नसीब में,
खुदा के फज़ल से हैं,
मेरी तकदीर के सबसे रुख रंगीन
बस तुम ही तुम हो.