नई मोहब्बत .....

सुना है, दोस्त तेरी ज़िन्दगी में
बहारें फिर लौट आयीं हैं
गुलिस्तान फिर खिल उठा है
खुशियाँ फिर जगमगाई हैं

किसी की खुशबू से तेरा दामन
फिर तर बतर होने लगा है
किसी के पहलू में दोबारा
तूने मोहबात की रंगीनियाँ पायी हैं

अच्छा है के मुक़द्दर ने
फिर से तुझे इनायतें बख्शी
सबको वो नसीब नहीं होता
जो तेरी किस्मत रंग लायी है...

Popular posts from this blog

अहसास-ए-गम

तमन्ना-ऐ-वस्ल-ऐ-यार