ज़रूरतें
जाने क्यूँ आज ये लगे,
किसी को मेरी ज़रूरत नहीं,
दुनिया है ये अजनबी सी,
किसी को मुझसे वास्ता नहीं
वो ज़माने गुजर गए
जब जमाना मुझसे वाबस्ता था
हिकायत पे मेरी वो रो रो जाता था,
दौर इक ये भी है,
मुझे किसी पे आस्था नहीं
ये दुनिया है अजनबी सी,
किसी को मुझसे वास्ता नहीं.
अहसान फरामोश लोग है,
कुछ रिवायतें भी खोखली ,
दिया जिसको अपना सब कुछ,
उससे सिर्फ ठोकरे मिली,
गुजर गया जो मुझ पे
हकीक़त है, दास्तान नहीं,
ये दुनिया है अजनबी सी
किसी को मुझसे वास्ता नहीं.
किधर जाऊं अब क्या करूं,
न सूझे न जान सकूं,
जिसने दाग-ए- जिगर दिए
उसी को आज भी प्यार करूं,
मौत को गले लगाने के सिवा
अब और तो कोई रास्ता नहीं,
ये दुनिया है अजनबी सी
किसी को मुझसे वास्ता नहीं.
किसी को मेरी ज़रूरत नहीं,
दुनिया है ये अजनबी सी,
किसी को मुझसे वास्ता नहीं
वो ज़माने गुजर गए
जब जमाना मुझसे वाबस्ता था
हिकायत पे मेरी वो रो रो जाता था,
दौर इक ये भी है,
मुझे किसी पे आस्था नहीं
ये दुनिया है अजनबी सी,
किसी को मुझसे वास्ता नहीं.
अहसान फरामोश लोग है,
कुछ रिवायतें भी खोखली ,
दिया जिसको अपना सब कुछ,
उससे सिर्फ ठोकरे मिली,
गुजर गया जो मुझ पे
हकीक़त है, दास्तान नहीं,
ये दुनिया है अजनबी सी
किसी को मुझसे वास्ता नहीं.
किधर जाऊं अब क्या करूं,
न सूझे न जान सकूं,
जिसने दाग-ए- जिगर दिए
उसी को आज भी प्यार करूं,
मौत को गले लगाने के सिवा
अब और तो कोई रास्ता नहीं,
ये दुनिया है अजनबी सी
किसी को मुझसे वास्ता नहीं.