मुझे भी तुम मंजूर कर लो.
दे रही है रुक रुक के
मेरी आँखें झुक झुक के
शर्माता हुआ इक सलाम
तुम कबूल कर लो
तड़पती हुई हर धड़कन
चाहे तुमको छूना इक बार,
पास आके थामो मुझे
और शिद्दत महसूस कर लो,
किसी को प्यार कर करना,
जुर्म तो नहीं, न गुनाह ही है,
दावत हम देते हैं तुम्हे
प्यारा सा इक कुसूर कर लो
मैंने कबूला सौ बार तुम्हे,
नहीं अब आरजू किसी की,
गुजारिश बस इतनी सी कि,
मुझे भी तुम मंजूर कर लो.
मेरी आँखें झुक झुक के
शर्माता हुआ इक सलाम
तुम कबूल कर लो
तड़पती हुई हर धड़कन
चाहे तुमको छूना इक बार,
पास आके थामो मुझे
और शिद्दत महसूस कर लो,
किसी को प्यार कर करना,
जुर्म तो नहीं, न गुनाह ही है,
दावत हम देते हैं तुम्हे
प्यारा सा इक कुसूर कर लो
मैंने कबूला सौ बार तुम्हे,
नहीं अब आरजू किसी की,
गुजारिश बस इतनी सी कि,
मुझे भी तुम मंजूर कर लो.