सवाल ......
मुझसे तेरा पता पूछते हैं
मेरे कुछ बिखरे ख़याल ....
के वो भी तेरे आगोश से
दूर होकर बे-दर हुए जाते हैं.....
मुझे समझाया गया सद तरीकों से
हबीबों ने कसम भी दे दी कई
गरचे, अब भी तसव्वुर में
तेरे अक्स ही नज़र आते हैं ....
गुम से रहते हैं तेरे ख़्वाबों में
खोये मोहब्बत की गम्गीनियों में
क्या कभी मुक्तसर होगा इंतज़ार मेरा
बस ये ही सवाल अब सताते हैं ....
मेरे कुछ बिखरे ख़याल ....
के वो भी तेरे आगोश से
दूर होकर बे-दर हुए जाते हैं.....
मुझे समझाया गया सद तरीकों से
हबीबों ने कसम भी दे दी कई
गरचे, अब भी तसव्वुर में
तेरे अक्स ही नज़र आते हैं ....
गुम से रहते हैं तेरे ख़्वाबों में
खोये मोहब्बत की गम्गीनियों में
क्या कभी मुक्तसर होगा इंतज़ार मेरा
बस ये ही सवाल अब सताते हैं ....