अब उसकी खुदाई में ज़बीं को झुकाना है

यार से दूरियों का सीने में कहीं ज़ख्म बरकरार है
दिल कमबख्त से उसका मगर अब तक याराना है
हिकायतें ख़त्म हो गयी सारी हम दोनों के बीच की
मेरी कहानी आज भी मुहब्बत भरा एक अफसाना है

कोई गैर तो नहीं बाद उसके जो आया जिंदगी में
के दुनिया में अब मेरा एक और भी दीवाना है
जिसको अहसास है मेरे दर्द का, मेरी तन्हाई का
तो क्या हुआ वो अब तक एक अनजाना है

फिर एक कोशिश करें शायद शक्ल बदल जाए
के नैनो में बसा सूरत-ए-यार बेशक पुराना है
दीदार गरचे जिसका अब दिन रात होता है
क्या करुँ वो शख्स अब तक बिलकुल बेगाना है

बदनामियों से डरके जीना मैंने सीखा नहीं के
रुसवाई का ताज पहनाने वाला ज़माना है
हबीबों से दोस्ती कुछ महंगी पड़ी इसलिए
पनाह में लेनेवाला एक रकीब बनाना है

जिसके लिए शीशा-ए-दिल टूट गया मेरा
एक बार उसको उसका चेहरा आईने में दिखाना है
दिल में नश्तर सद् लगे और फुगाँ उसने ना सुनी
हाल-ए-दिल सुना के अब हर अश्क का हिसाब चुकाना है


एक नए रिश्ते की बुनियाद अब जो हासिल हो गयी
पुर-सुकून नीयत से उसके करीब जाना है
मुद्दत से सिर उठाये खड़े से खुदा के आगे
अब उसकी खुदाई में ज़बीं को झुकाना है

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