किसी मोड़ पे

कई बार भूली सी इक कहानी
जिंदगी फिर दोहरा जाती है
वो जो गुज़र गयी मंजिल पीछे
किसी मोड़ पे फिर टकरा जाती है
वक़्त गुजार चुका जिन लोगों को
किस्मत फिर कभी मिला जाती है
बहुत दूर निकल चुकने के बाद
उन्हें फिर लौटा के लाती है
साया भी बिछड़ जाता है
जब वीरानी रात ऐसी भी कभी आती है
वो तो तकदीर कुछ ऐसी है
के इक रौ-ए-उम्मीद जला जाती है
करूं किस तरह तेरा शुक्रिया के
मेरी किस्मत तुझसे बार बार मिलाती है
तू चाहे जहाँ जाए मगर फिर भी
जिंदगी तुझे मेरे पास, और पास ले आती है...

Popular posts from this blog

अहसास-ए-गम

तमन्ना-ऐ-वस्ल-ऐ-यार