मेरा मौसम

तुम्हें सावन कहूं,
बादल कहूं,
या मौसम
के हर नाम से
तुम बारिश को बुलाते हो
बारिश आये या न आये मगर
उसकी हर बूँद में सिर्फ तुम नज़र आते हो ...
अब्र छाते हैं जब आसमान पे काले
तुम उनको बरसने को हर बार उकसाते हो
अगर नहीं बरसते और यूँ ही चले जाते हैं
तुम उनपे दिल्गिरियों का इल्जाम लगाते हो
और अगर टूटकर छलक जाते हैं
तो तुम और बारिश फिर एक हो जाते हो
आख्रिश तुम बादल हो,
सावन हो,
मौसम हो
तुम ही बारिश के खुदा नज़र आते हो ....

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