हमारी याद आती होगी

हमारी याद आती होगी
कभी तो हमारी याद आती होगी
कभी तो रात को भी बेताबी सताती होगी
कभी तो माजी टोकता होगा
कभी तो आँख रुलाती होगी ...
कभी तो सावन की झरी में
फिर अरमान मचलते होंगे
कभी तो खिज़ा में
पत्तों के साथ आंसू झड़ते होंगे
कभी तो सर्द रातों में
हमारी कशिश जगाती होगी
कभी तो हमारी साँसों की गर्मी
जिस्म आपका पिघलाती होगी...
कभी तो दीदार की तमन्ना में
पाँव छत तक ले जाते होंगे
कभी तो मिलने की तड़प में
ख्वाब हमारे आते होंगे
कभी तो हमे फिर छूने की चाह
हाथों को तरसाती होगी
कभी तो शाम को पांच बजे
घड़ी की टिक टिक सुनाती होगी
कभी तो दिन ढले
बीते पल बुलाते होंगे
कभी गुज़रते हुए पुराने रस्ते
फिर आवाज़ लगाते होंगे
कभी तो बाहें हमे आगोश में भरने को
फिर मचल मचल जाती होंगी
कभी तो तनहाइयों में हमारी याद आती होगी....

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