सब-ऐ-तन्हाई
सोई हेई रातों में हमें बुलाते हो ;
धीमे धीमे बहुत सी बातें करते जाते हो,
दूर रहकर भी हाय, कितना सताते हो,
जब सोई हुई रातो में हमें बुलाते हो...
न खुद सोते हो , न सोने देते हो,
घंटो तक अपना हाले दिल सुनाते हो
जब सोई ...
जब नींद आती है तो नींद से जागते हो,
और बेहिचक मिलने की फरियाद करते जाते हो,
जब सोई हुई...
रह रह कर अपने आगोश में बुलाते हो,
रुकी रुको सी मेरी धड़कने बढाते हो,
जब सोई हुई...
क्या जाने क्या मिलता है, क्या जाने क्या पाते हो,
क्यूँ अपने दिल की ख्वाइशें बताते हो,
जब सोई हुई..
धीमे धीमे बहुत सी बातें करते जाते हो,
दूर रहकर भी हाय, कितना सताते हो,
जब सोई हुई रातो में हमें बुलाते हो...
न खुद सोते हो , न सोने देते हो,
घंटो तक अपना हाले दिल सुनाते हो
जब सोई ...
जब नींद आती है तो नींद से जागते हो,
और बेहिचक मिलने की फरियाद करते जाते हो,
जब सोई हुई...
रह रह कर अपने आगोश में बुलाते हो,
रुकी रुको सी मेरी धड़कने बढाते हो,
जब सोई हुई...
क्या जाने क्या मिलता है, क्या जाने क्या पाते हो,
क्यूँ अपने दिल की ख्वाइशें बताते हो,
जब सोई हुई..