इनायतें दुश्मनों की
उनकी इनायतों की भार तले
मेरी हस्ती ही दब न जाए
के मिजाज़-पुरसी को मेरी
उनके कई नामाबर आये..
कर्मों की फेहरिस्त उनकी
मेरे ज़ख्मों से लम्बी थी
की मेहरबानियाँ जब जब हुईं
दिल ने खून के आंसू बहाए
माजी में डूबा हुआ
हर नासूर बहने लगा
के जब जिंदगी बारहा
उनके दर पे छोड़ आये
उस रकीब के जानिब
उठते कदम रोके कैसे
जिसने रहनुमा बन के
कई ख़तम होते रस्ते भटकाये
आज पूछा अहबाब ने
पांवों के छालों को देख
यार, कहाँ कहाँ घूमे
कहाँ कहाँ हो आये?
तिस पर अब उस मगरूर की
हिम्मत के क्या कहने
ज़ख्मों पे नमक छिड़कने
उसने चारागार हैं भिजवाये....
मेरी हस्ती ही दब न जाए
के मिजाज़-पुरसी को मेरी
उनके कई नामाबर आये..
कर्मों की फेहरिस्त उनकी
मेरे ज़ख्मों से लम्बी थी
की मेहरबानियाँ जब जब हुईं
दिल ने खून के आंसू बहाए
माजी में डूबा हुआ
हर नासूर बहने लगा
के जब जिंदगी बारहा
उनके दर पे छोड़ आये
उस रकीब के जानिब
उठते कदम रोके कैसे
जिसने रहनुमा बन के
कई ख़तम होते रस्ते भटकाये
आज पूछा अहबाब ने
पांवों के छालों को देख
यार, कहाँ कहाँ घूमे
कहाँ कहाँ हो आये?
तिस पर अब उस मगरूर की
हिम्मत के क्या कहने
ज़ख्मों पे नमक छिड़कने
उसने चारागार हैं भिजवाये....