मेरा घर तेरे शब्दों से भर गया

पानी की तरह तुम्हारे
अरमान बरसने लगे
ओर कुछ बूंदे ओले बन
फर्श पे जमने लगे
उनकी ठंडक में मेरा
तन बदन सिहर गया
मेरा घर तेरे शब्दों से भर गया...

हवा की तरह तुम्हारे
ख्वाब उड़ने लगे
ओर फिर मेरी आँखों में
पलने-बदने लगे
उनके शीशे में मेरा
अक्स और संवर गया
मेरा घर तेरे शब्दों से भर गया...

खुशबू की तरह तुम्हारे
ख्याल महकने लगे
निगाहें हम पे क्या पड़ी
कदम बहकने लगे
और उनके सोज़ में
मेरा वजूद जल गया
मेरा घर तेरे शब्दों से भर गया...

बादल की तरह तुम्हारे
अहसास उमड़ने लगे
और अंग अंग मेरा
वस्ल को तड़पने लगे
उस गर्म तासीर में
वक़्त तार ढल गया
मेरा घर तेरे शब्दों से भर गया..

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