गुम हुआ सावन
हर वीराने को अंधेरों में
तलाश-ए-चिराग नहीं होती
बर्फ के लोग जहाँ मकीं हों
दिलों मं आग नहीं होती
शाद रहने की कोशिशों में
मसरूफ हैं इस जहान वाले
ग़मों के शौकीनों को मगर
सुखों की फरियाद नहीं होती
कब्र में दफ़न लाशों में
मिलेंगे दफ़न कई अरमान
यहाँ जिंदा इंसानों में
ज़रूरत-ए-जज्बात नहीं होती
मुफलिसी में पलती है
कहीं हजारों जिंदगियाँ
कहीं रईसों की भी
दुनिया आबाद नहीं होती
सूखे दरख्त उमीदों से
तकते हैं उबलता आसमान
सावन बरसे जब सहरा में
तब भी यहाँ बरसात नहीं होंती
तलाश-ए-चिराग नहीं होती
बर्फ के लोग जहाँ मकीं हों
दिलों मं आग नहीं होती
शाद रहने की कोशिशों में
मसरूफ हैं इस जहान वाले
ग़मों के शौकीनों को मगर
सुखों की फरियाद नहीं होती
कब्र में दफ़न लाशों में
मिलेंगे दफ़न कई अरमान
यहाँ जिंदा इंसानों में
ज़रूरत-ए-जज्बात नहीं होती
मुफलिसी में पलती है
कहीं हजारों जिंदगियाँ
कहीं रईसों की भी
दुनिया आबाद नहीं होती
सूखे दरख्त उमीदों से
तकते हैं उबलता आसमान
सावन बरसे जब सहरा में
तब भी यहाँ बरसात नहीं होंती