कुछ पल

कुछ यादें कुछ पल बीते हुए,
कुछ अहसास, कुछ झगड़े जीते हुए;
पन्नों में कैद थी कब से मेरे,
कुछ रिश्ते अब जो रीते हुए....
तुमने उन्हें बंद कमरों से आजाद कराया,
उसपे पड़े कितने जालों को हटाया;
खुली हवा में सांस लेना सिखाया,
बहुत वक़्त हो चला था बेसबब जीते हुए;
ये जान के भी के वक़्त सिर्फ याद बन जाये,
गाये साथ सिर्फ कुछ लम्हों में गुज़र जाये;
गाजब हमारा रास्ता अलग हो जायेगा,
और हम जीयेंगे शायद आंसू पीते हुए...

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