रंग भरा उम्मीदों भरा, हर रोज़ मुझसे मिलने रात गए मेरे ख्यालों में आता है, क्या बताएं वो कैसा है, बिलकुल ख्यालों जैसा है, मुझे अक्सर इंतज़ार और उम्मीदों में, फर्क समझाता है, जिसके होठों में इक आग है, जिसकी सांसो में इक राग है, सभी साज ज़िन्दगी के बज उठते हैं, जब वो नजदीक आता है, कुछ कल के किस्से , कुछ आज के अफसाने, मेरे आज से जुड़ कर, कैसे कैसे बहानों से, गीतों में सुनाता है, जिसके होने से बहार आती है, जिसके जाने पे खिजां सताती है, बादल सावन उसमे समाये, जो खुद को मौसम, मुझे बारिश बुलाता है, जिसकी छाव में तपिश जिसके आगोश में आतिश, जो तन्हाई में अक्सर, उँगलियों से अपनी धड़कन सुनाता है, जो ख्वाबीदा होकर भी, सपनो से डराता है, अपने लिए सिर्फ हकीकत चुनता है, मुझे मगर गए रात सपने दिखाता है, जिसके लबों पर मेरा नाम तक नहीं आता, बिना नाम के वो अपने नामों से मुझे अक्सर बुलाता है, दिन भर इधर उधर भवरे सा सब फूलों पर डोलता रात में वो सिर्फ मेरा हो जाता है, पता नहीं और कुछ नहीं, दो लफ्जों की उसकी जुबान, जिसके दर्मियान मुझे वो हिकायते-जिंदगी सुनाता है, आप और तुम के हमारे फासले, शायद कभी कम न हो इन फासलो